Monday, December 13, 2010

रोटी की योजना नहीं स्वराज चाहिए

"अगर हम 100 गरीब लोगों से पूछें कि आपको खाद्य सुरक्षा पहले चाहिए या स्वराज तो उनका उत्तर क्या होगा?" गांव की गरीबी और भ्रष्टाचार का समाधान स्वराज में तलाशने के मेरे प्रस्ताव को खारिज करते हुए एक मित्र ने सवाल किया. वस्तुत: उनका तर्क प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा योजना के पक्ष में था. अरबों रुपए की यह योजना इस वादे के साथ लाई जा रही है कि देश के हर भूखे को अन्न मुहैया कराया जाएगा. मैंने कहा, "ज़ाहिर है, खाद्य सुरक्षा. क्योंकि कोई भी आदमी पहले रोटी ही चाहेगा". लेकिन अब मैंने अपने उन मित्र से पूछा कि यही सवाल अगर हम गरीब लोगों के सामने इस तरह रखें कि "सरकार के पास जनता के टैक्स के एक कुछ रुपए हैं, सरकार इन पैसों से आपको खुद खरीदकर रोटी पहुंचाए या ये पैसे सीधे आपको दे दे ताकि आप खुद आपस में योजना बनाकर रोटी, रोज़गार और सुविधाओं के लिए इसे खर्च कर सकें तो उनका जवाब क्या होगा?" सरकार द्वारा योजना बनाने के पक्षधर मित्र ने इस बार माना कि लोग दूसरा विकल्प चुनना चाहेंगे. मैंने उनसे कहा कि "यही स्वराज है" एक बार स्वराज समझ में आ जाए तो देश में लोग योजनाओं की भीख नहीं स्वराज मांगेंगे.

लेकिन सवाल तो यही है स्वराज लोगों की समझ में आए कैसे? मेरे ये मित्र समाज की पीड़ा से बेहद आहत हैं और अपने सार्थक योगदान के लिए अमेरिका से अपनी अच्छी खासी नौकरी भी छोड़ आए हैं. लेकिन यहां इन्हें लगता है कि सरकार की योजनाएं अगर ठीक से अमल में आ जाएं तो गरीबी दूर हो ही जाएगी. और इनका ही नहीं देश में अच्छा सोचने-करने वाले एक बहुत बड़े वर्ग को लगता है कि नर्क भोगने को मजबूर गरीबों की मदद के लिए जो सरकारी योजनाएं चल रही हैं वे ज़रूरी हैं. बस उनका ठीक से अमल में आना बाकी है.

वस्तुत: तो ये योजनाएं लोगों को छलने के लिए घोषित होती हैं और फिर नेताओं और अफसरों की जेब भरने के काम आती हैं. उधर इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए लिए गरीब आदमी इन नेताओं और अफसरों के सामने भीख मांगता है, गिड़गिड़ाता है. अगर किसी को योजना का फायदा मिल जाए तो वह आजीवन नेता का मानसिक गुलाम बन जाता है.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इन मित्र ने दूसरा सवाल रखा. "अगर घर में आग लगी हो तो पहले आप आग बुझाएंगे या पहले घर को फायर प्रूफ बनाने का काम करेंगे?" यहां आग से उनका आशय गरीबी और भुखमरी से था और बुझाने का आशय था तुरन्त योजनाएं बनाने से. मैंने उन्हें कहा कि आग बुझाने का काम ही पहले करना होगा लेकिन अगर हम पिछले 60 साल से आग बुझा रहे हैं, और आग है कि बढ़ती जाती है तो आग के स्रोत को बन्द करने पर भी काम करना पड़ेगा. हम पिछले 60 साल से एक के बाद एक योजनाएं बना रहे हैं - राशन के लिए, आवास के लिए, पेंशन के लिए, छात्रों के लिए, सड़क के लिए, स्वास्थ्य के लिए. इन योजनाओं पर आज तक खरबों रुपए का धन बहाया जा चुका है. लेकिन न तो गरीबी कम हुई है न गरीबों की समस्याएं. बल्कि इन योजनाओं में भ्रष्टाचार कर करके बाहुबली बने माफिया और गुण्डे अब संसद और विधान सभाओं में पहुंच गए हैं और सरकारें चला रहे हैं.

2 comments:

  1. स्वराज के साथ-साथ DM और SP का तावादला होगा या नहीं इसका अधिकार तथा DM और SP को किसी भी नागरिक के लिखित शिकायत का जवाब तिस दिनों के भीतर देना होगा यह अधिकार भी इस देश की जनता को चाहिए.....तथा भ्रष्टाचारियों को पकरवाने पर उससे जप्त किये गए काले धन का बीस प्रतिशत इनाम के तौर पर ऐसे लोगों को दिया जाय जो भ्रष्टाचारियों,भ्रष्ट मंत्रियों तथा भ्रष्ट उद्योगपतियों को पकरवाने के लिए जान की बाजी लागतें हैं तब जाकर इस देश में इन साले भ्रष्ट मंत्रियों और उद्योगपतियों के शर्मनाक गठजोड़ से चल रहे लूट को रोका जा सकता है..........

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  2. Manish ji you have written the brutal reality of India and if i have to choose from the govt. schemes and SWARAJ i will and even every INDIAN will go for the SWARAJ and then we will make our own schemes what we have to do......

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